Riya2711
किस बात से नाराज़ है ऐ ज़िन्दगी बता तो दे ।
शायद तुझे मना ले तो गुजारा हो जाए ।
इतनी शिद्दत से उसे भुलाया होता तो ,
आज शायद तेरी जी हुजूरी ना करते ।।
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ऐ दिल-ऐ-नादां तेरी आरज़ू हमारी चादर से परें है ,
सोचते हैं सर्द हवाओं में कैसे गुज़ारा होगा ।
समझते थक गए के शमा और शबनम का कोई मेल नहीं ,
जुबां तो तब सिल गई जब तूने कहा ;
"मैं तो परवाना हूँ" ।
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I love the last line.
Don't you just love it ?
If you do then show it to Riya2711 :)
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Kanchan Mehta :)
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