
|| आदमी से प्यार कर सकता हूं ||
बेसाख्ता ही हम ऐसे बन गए
एक आदमी होकर आदमी से प्यार कर गए
अब ऐसा भी क्या गुनाह कर दिया
जो अपनों ने ही पराया कर दिया
सही और गलत का फर्क नहीं समझना है मुझे
इंसान हूं इंसानों वाला इश्क करना है मुझे
यह नफरत का पर्दा कुछ देर हटा दीजिए ना
मैं मोहब्बत कर लूं बस इतनी देर सारी शिकायतें मिटा दीजिए ना
अलग मैं नहीं हूं, आपका मुझे देखने का तरीका है
लहज़ा और तहज़ीब, दोनों मैंने आप जैसों से ही सीखा है
"इन्हे शर्म नहीं है" ...इन्हे ये बात क्यो समझ नहीं आती
शर्म की दीवार रखके वफ़ाएं नहीं रोकी जाती
अब तुम हमें कबूल करो या बेदखल करो
गले से लगाओ या शर्म का पर्दा करो
बंद दरवाज़े और भरे बाजार दोनों में कह सकता हूं
मैं आदमी हूं और एक आदमी से प्यार कर सकता हूं।
~Joy
Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro