मेरे दोस्त
कभी अकेले में मैं सोचूँ
दुनिया में कौन है मेरा?
कह सकूँ जिसे मैं अपना
ऐसे कितने हैं भला?
तब जो कंधों पर हाथों की कतार लगती है,
खुशकिस्मती मेरी की मेरी सोच के बिल्कुल वे विपरीत हैं,
वे मेरे प्यारे दोस्त हैं-
वे मेरे जिगर के टुकड़े हैं।
जैसे किरण सवेरा लाती है,
सूखे पड़े चित्त में वो मृगतृष्णा लाती है।
ना जाने कैसे कैसे रुपों की वो मालकिन है,
जो भी है लाजवाब है।😆
मौसम के बदलते तेवर हो
या पल-पल बदलता जग का अंदाज
वो कल भी वैसी थी
आज भी वैसी ही है-
मस्ती, उछलती-कुदती
गुस्सैल भी पर नादान-सी I
चाहे सारी दुनिया छान लूँ मैं,
इनके जैसा शायद कोई मिल ना पाए।
वो दोस्त हैं, हितैषी भी-
उनकी वो शर्मिली मुस्कान, वो डाँट कोई भूल भी ना पाए।
एक ऊँची उड़ान भरने की इच्छुक
वो सपने बहुत देखती है।
कभी डरती है, कभी गिरती है,
पर हमेशा मुस्कुराती है-
अर्जुन की तरह अपना लक्ष्य तथस्थ रखती है।
बादलों सी सुंदर वो
जैसी कोई अप्सरा हो।
मेघों सी बरसे जब,
जैसे मन तृप्त-सा हो।
एक इंसान ऐसा,
खुद ही में जैसे एक दास्तां।
बोलता क्या है कभी-कभी नहीं समझ आता,
पर दिल का सच्चा ऐसा-
हर किसी को अपना बना लेता।
मासूम सी गुड़िया
हर वक्त चेहरे पर लालिमा उसके।
जैसे प्यारी-सी गौरैया,
अपने जीवन के सपनों को समेटे हुए।
उम्र भले ही बढ़ रही हो
बचपन में रहना कोई इनसे सिखे।
हर कोई दौड़ लगा रहा हो,
हालातों से जुझना कोई इनसे सिखे।
कहते हैं मंजिल मायने नहीं रखती
सफ़र मंजिल तक का खुशनुमा हो।
इस बात का उदाहरण है वो,
दोस्ती, पढ़ाई, परिवार और जिंदगानी-
सब में वो परिपूर्ण है।
कुछ ऐसे हैं मेरे दोस्त
कदम-से-कदम मिलाते हुए।
हर तरफ़ जालिमों का ताता है,
कीचड़ में कमल हैं मेरे दोस्त । ❤️
लक्ष्य
चित्र स्त्रोत: इंटरनेट से।
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