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ऐ नटखट अप्सरा !

ऐ नटखट अप्सरा !
तू कहाँ गई अब चली आ।
अब यादों में कैद है तेरी हँसी ठिठोलियाँ
अब सपनों में बंद है तेरी बचकानी नादानियाँ।

ऐ नटखट अप्सरा !
आ, उन यादों के पिंजरे को खोल दे ज़रा।
ऐ मनमोहिनी वसुंधरा !
उन सपनों को साकार कर दे ज़रा।

ऐ नटखट अप्सरा !
अब बस और ना तड़पा।
ऐ नटखट अप्सरा !
मेरे सूखे बाग-रूपी मन को सिंच दे ज़रा,
मेरे मुसाफ़िर नैनों को मृगतृष्णा दिखा दे ज़रा।

ऐ नटखट अप्सरा !
वापस बीते पल महसूस करा जा।
ऐ नटखट अप्सरा !
वापस जिंदगी का अर्थ बता जा ।

लक्ष्य

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