भीङ भरी दुनिया
भीड़ भरी दुनिया
कैसी हैं ये दुनिया भीड़ भरी ।
ये दुनिया हैं हमारी हरी-भरी ।।
अपने मे है हर कोई अस्त-वयस्त ।
हर कोई अपने मे हैं मस्त ।।
किसी का न है कोई ठिकाना ।
अपनों से मिलने का चाहिए कोई-ना कोई बहाना।।
भीड़ भरी इस दुनिया मे गुम हो गया बच्चों का खेलना ।
रह गया है सिर्फ पढना और मोबाइल में व्यस्त रहना ।।
पेङों से जङते हैं जैसे फल-फूल ।
ऐसे ही हम गए माँ-बाप को भूल ।।
कैसा हैं ये जमाना ।
हर कोई है यहाँ बेगाना ।।
कैसी हैं ये दुनिया भीड़ भरी ।
ये दुनिया है हमारी हरी-भरी ।।
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