3rd chapter
उसकी पत्नी को यह संतोष था कि आखिर कार यह रिश्ता खत्म हुआ।
चीजें कितनी बदल जाती अगर उसका उसके बेटे के प्रति प्यार सालों पहले उमड़ता, अगर उसकी सास अपने बेटे बहू के रिश्ते को जिंदा रखने के लिए ही थोड़ा समायोजन कर लेती।
हर लड़की अपने आत्म सम्मान की परवाह करती है लेकिन शादी के बाद अगर हर वक्त उसके आत्म सम्मान पर प्रहार किया जाएगा तो वो भी उससे सहन नहीं होगा। कोई नहीं बोल सकता घर के चार दीवारों की सच्चाई।
लेकिन फिर भी काश उसने अपने रिश्ते को एक आखरी मौका दिया होता। काश उसका बालकोनी यूं सन्नाटे से न भरता।
एक पिता-पुत्र का रिश्ता भी नहीं बिखरता और पति- पत्नी का रिश्ता भी नहीं बिखरता। सभी जहां भी होंगे अच्छे होंगे लेकिन इन यादों का क्या न समय देखेगी, न जगह, जब आएगी तो दर्द का सैलाब लेकर!
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