
सावन
ना पहली बारिश है ये
ना पहला सावन मेरा
पर फिर भी कुछ अलग सा हुआ है
जीवन में मेरे
ये बूंदे सावन की मेरी प्रेरणा बनी हैं
सबब बनी हैं मेरी पहली कविता का ये
बादलों की गड़गड़ाहट से इन्हें स्वर मिले
तो बिजली की चमचमाहट ने इनमें रंग भरे हैं
टपकती बूंदों ने इन्हें लय दी है
भीगते बच्चों की किलकिलाहत ने इनमें जान भरी है
आशियाने को उड़ते पंछियों ने भी
मेरे शब्दों को उड़ान दी है
प्रेरणा दी मुझे कि
मेरे शब्दों के साथ मैं भी उड़ सकूँ
रंग भर सकूँ अपने जीवन में
और दूसरों के भी
ये सावन ही तो है
जिसने मुझे अहसास करवाया है
मेरे भावों का
मेरे मन छिपे अहसासों का,
उन उमंगों का
जिनसे अन्जान मैं अब तक रही
ये सावन ही तो है
जिसने भिगो दिया है
मेरे तन को ही नहीं
मेरे मन को भी।
Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro