वो मेवों के हार
आया देखो आया
वैसाखी का त्यौहार
झूम रहा पंजाब सारा
आया उमंगों का त्यौहार
खड़ी लह-लहाती फसल खेतों में
झूम रहा किसान
देख-देख फल मेहनत का
बांध उम्मीदें हज़ार
है वक़्त बदल गया
बदले रीत-रिवाज़
है खुशी किसान की पहले जैसी
पर ना रहा जुनून वो आज
है त्यौहार बस नाम का
ना मोल रहा खुशियों का आज
रहा तो बस नाम कि
है वैसाखी आज
था वक़्त एक
जब गूंजता था घर खुशियों से
घर भी भरा होता था सौगातों से
था वो वक़्त ऐसा
जब रिश्ते दूर होते थे
पर रिश्तेदार साथ होते थे
ना होता था फोन कोई
ना whatsapp, facebook की सहूलियत थी
पर सब दिल के करीब होते थे
नानकों का भी अलग ही मोल होता था इस दिन
आता था मेवों का हार जो इस दिन
भरा होता था नानी का प्यार इसमें
और मामा का दुलार भी
पर दिन बीत गए वो अब
हम भी बड़े हो गए
अब भी त्यौहार है
पर उन्हें मनाने का तरीका वो नहीं
मेवे आते हैं नानकों से आज भी
पर वो मेवों के हार नहीं
था वो समा खुशनुमा
सब को दिखाते थे
गले में काजू-किशमिश के हार डाल इतराते थे
ननिहाल का प्यार भी बड़े शोक से खाते थे
हौड़ लगती थी कि कौन खाएगा पहले इन्हें
एक अजीब सा खेल होता था
जिसमें हार में भी सुकून होता था
पर ना रहा वो शोक अब
ना वो सुकून मिलता है
मेवे तो खूब मिलते हैं
पर उन्हें खाने में वो स्वाद नहीं
त्यौहार तो आज भी हैं
पर वो मेवों के हार नहीं ।
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Happy Vaisaakhi my dear Friends ☺🌾😘
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Happy Vaesaakhi Friends 😊 😘🌾
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