मुझमें हिम्मत नहीं
A Sad but dark poem.
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नहीं चाहती
वो आस बनना
जो तुझे रुलाए
नहीं चाहती
वो याद बनना
जो तू भूल जाए
नहीं चाहती
तू ठण्डी आहें भरे
ये सोच के कि क्या होता
क्या होता
अगर तू साथ होता
उस पल जब मेरे साथ वो हुआ
जब मेरा हर अंग चीख उठा
कह उठा
'कि ये तेरा है'
पर अब तेरे काबिल ये ना रहा
ना रहा तेरे काबिल क्योंकि
इसे छूकर मेला उसने है कर दिया
नौच डाला मेरा हर अंग इस कदर के
ज़ख्म दिखाने को भी डर लगता है
डर लगता है ये कहने को
कि मेरे साथ गलत हुआ
डर लगता है तुझसे नज़रें मिलाने को
कहीं तू सच भांप ना जाए
ना जान जाए के मेरी आँखें नहीं
मेरा दिल रो रहा है
ना आँसू है इसमें बहाने को
ये तो लहू बहा रहा है
नहीं चाहती कि तू जाने के
मेरे साथ क्या हुआ
क्यूंकि जो हुआ वो राज़ मेरा है
जिसे दिल में छुपा मुझे बस हंसना है
हंसना है तेरे लिए
तुझे यकीन जो दिलाना है
भले ही मेरा दिल दर्द से भरा है
मेरा हर अंग, शर्म से जल रहा है
पर उस जलन की आंच ना तुझ तक पहुंचेगी
ना सहने दूंगी तुझे वो गम
जो सिर्फ मेरा है
अगर अलग होना तुझसे ही
मेरा मुकद्दर है
तो इसे हँसकर मुझे अपनाना है
हँसकर उस मौत को गले लगाना है
क्योंकि जीना तेरे बिन मुमकिन नहीं
और दर्द सहकर हंसती रहूं जीवन भर
इतनी मुझमें हिम्मत नहीं ।
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