
बहाना
Hello Dear friends and followers.
I hope you will like this poem. I'm not so site about it's title, so if you find one more suitable than बहाना while reading it, let me know. I'm open to suggestions and in fact need them. So do comment and let me know what you have in mind.
Thank you for reading.
Enjoy ☺️
अंधेरी गलियों से
भीगे चौराहों से
हर रात गुज़रा करते थे
होता था शोरो-गुल जहाँ दिन के उजालों में
उनके अंधेरे सन्नाटों से गुजरा करते थे
हर आहट फिर एक शोर होती थी
हर परछाई दिल की धड़कन बड़ा देती थी
पर यही ज़िन्दगी थी
अंधेरी गलियों में ही पहचान थी उनकी
हर दीवार पहचानती थी इन्हें
जिन्हें छू ये रास्ता ढूंढते थे अंधियारी रातों में
राह की धूल भी अपनी थी इनकी तो
जो कपड़ों संग चिमट
साथ चलती रहटी थी इनके
हर मोड़ पहचानता था उन्हें
रात की राहों का हर बाशिन्दा भी जानता था उन्हें
ये छोटे हाथ जो इन अंधेरी रातों में
दीवारों को छू कर गुज़रते थे
कटे-फ़टे, छालों से भरे हाथ
कई कहानियाँ कहते थे
बतलाते थे किस्से
जिन्हें सोच हम घबरा जाते हैं
तभी तो चाह कर भी ना कभी उनसे पूछ पाते हैं,
कि 'क्या तकलीफ है उन्हें?'
जो पूछते तो सामना सच्चाई से होता
जीवन के उन अंधकारों से होता
जिन्हें अपनी खुशियों के उजालों में
हम अनदेखा कर देते हैं
नहीं चाहते उन अँधेरों को देखना
जिनकी बस आहट मात्र हमें डरा देती है
हमारे बढ़ते कदम को पीछे धकेल देती है
ये अंधकार जो उनका जीवन है
हमारा सहारा है,
खुश होने का बहाना है
बहाने ही तो हैं ये त्यौहार
जिनमें घी के दीपक जला
हम खुश हो बैठते हैं
खुद को तसल्ली देते हैं कि अंधेरा मिट गया
दियों की रोशनी और चमचमाते पटाखों के शोर में
जीवन का अंधेरा दब गया
पर ये भ्रम है
ठीक वैसा, जैसा हम बच्चों में लाते हैं
एक जलता रावण दिखा
उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि
अंत बुराई का हुआ
ये तसल्ली क्या हम उन बच्चों को दे सकते हैं
जो हर रोज़ इस बुराई को फलते-फूलते देखते हैं
जो समझते है कि यही जीवन का सच है
रावण तो जल गया पर बुराई का ना कोई अंत है
ये पनप रही है हमारे दिल में
उस डर स्वरूप
जो इसे किसी की मदद के लिए आगे बढ़ने से रोकता है
जो डरे सहमे पर अनजाने बच्चे को गले लगाने से रोकता है
है बुराई ही सच आज का
और ये भी हकीकत है
कि सच का सामना करने से हमे डर लगता है।
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Happy Dussehra Friends ☺️
दशहरे की हार्दिक शुभकामनाऐं सभी को ☺️
उम्मीद है ये कविता बहुत बुरी नहीं रही।
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