फरमाइश
फरमाइशें बहुत हैं उनकी
पूरी करने का भी दिल करता है
पर फिर भी ना जाने क्यों
कोई फरमाइश करने से ये दिल डरता है
डरता है ये जो पूरी ना हुई कोई फरमाइश
तो कहीं दिल ना टूट जाए
जो दिल बच भी गया
तो यकीन ना उनसे छूट जाए
टूटे दिल को तो फिर भी सम्भाल लेंगे
पर जो यकीन छूटा उनसे
तो फिर किसके सहारे जिएंगे
शायद इसलिए फरमाइशों को दरकिनार रखते हैं
बस उनकी मुँह से निकली बात पूरी करते हैं
एक वक्त था जब खुद के लिए ही कुछ करते थे
अब खुद को भूल उनके लिए जीते हैं।
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