परछाई से बातें
अपनी परछाई से बातें करते हैं
तो लोग पागल समझते हैं
पर कोई आगे नहीं बढ़ता
बात करने को
हाथ पकड़ कर कहने को कि
'मैं भी हूँ यहाँ,
तुम देखो तो सही!'
सब को हँसना है
पीठ पीछे बोलना है
पर कोई ये नहीं सोचता
कितना अकेला है वो
फिर भी कितना खुश
कि परछाई को भी दोस्त बना लिया।
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