
तू क्या जाने
Inspired by a debate between friends on who is more बेचारा, males or females.
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तू क्या जाने औरत का दुःख
तुझे तो वो हर दम हँसती दिखती है
तू क्या जाने उसकी तड़प
जिसके माथे पर तुझे शिकन्द ना दिखती है
तू कहता मर्द बेचारा होता है
हर मोड़ पर औरत का सताया होता है
तू क्या जाने क्या दुःख औरत ने भोगा
जब तुझे इस दुनिया में लाया होगा
तेरी ज़िन्दगी का सहारा बन
तुझे जीवन का हर सबक सिखाया उसने
पर तू क्या जाने
किस तरह जीवन को बिताया उसने
तेरी मुँह से निकली हर बात को पूरा किया उसने
सिर्फ माँ बन कर नहीं
पत्नी बन भी हर फ़र्ज़ निभाया उसने
पर वो तुझे कहाँ दिखता है
तुझे तो बस
उसका हंसता चेहरा दिखता है ।
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