ओ प्यारी नदी
Happy World Rivers Day Guys ☺️
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ओ प्यारी नदी
तुम कैसे यूं कर जाती हो
कल-कल करती
बस बहती चली जाती हो
ना कोई पत्थर तुम्हे रोक पाता
ना कोई बांध तुम्हे जकड़ पाता
तुम तो जहाँ मिले रास्ता
बस बहती निकल जाती हो
एक ठहराव है तुममे
तो वेग भी है
चाल में तुम्हारी तेज भी है
चीर देती हो धरती को
जो ये रुकावट तुम्हारी बने
ऊंचाइयों को भी छू
धरती पे गिर जाती हो
हर पग पर एक नया स्वर सुनाती हो
भाव बहुत हैं तुम्हारे अंदर
उतने ही रूप तुम दिखलाती हो
जीवन का स्रोत हो तुम
तो कभी तांडव भी दिखलाती हो
प्रकृति की तुम अनूठी रचना
हर रूप में हमें याद दिलाती हो
ओ प्यारी नदी
तुम कल-कल बहती जाती हो।
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