अजनबी
नए लोगों से मिलना है
पर दिल डरता है
ये सोच के क्या ख्याल होगा
उनका मेरे बारे में
कैसे होंगे वो
कौन होंगे
क्या ख्याल होगा उन्हें
कि मेरी भी एक हस्ती है
उन जैसी ना सही, पर है
या मेरी हस्ती भूला दी जाएगी
उसी पल जब उनकी नज़रें मुझ पर पड़ेंगी
या याद रखेंगे वो कि
हर शख्स का अपना मुकाम है
कम हो या ज़्यादा, पर है
कितनी अजीब बात है ना
मेरी हस्ती, मेरा मुकाम सब मिट्टी है
उनके सामने जो अजनबी हैं।
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