सूर्योदय
बेला रात की अब शेष होने आई है,
दिशा पूर्व अब आरम्भ लेकर आई है,
कह दो इन तारों को अलविदा अब तुम,
अब ऊषा की लालिमा हमारे गोद मे
खेलने आई है,
कह दो इन अंधेरों को अलविदा अब तुम
सच्चाई तुम्हारी रोशनी का
वचन लेकर आई है।
स्नेह से सहला कर चिड़ियों के पंख को,
ऐ भोर की हवा!
ज़माने से कह दो नियति अब
गिद्ध की नज़र लेकर आई है,
बेला रात की अब शेष होने आई है,
एक कहानी अपने अंतिम चरण पर
आई है,
ना रोक सकेगा कोई उसे,
ऐ दुनियावालों! समय की धारा
अब ईंट से ईंट बजाने आई है,
बेला रात की अब शेष होने आई है,
सब्र, धैर्य, सद्कर्म तुम्हारे,
एक नया सूर्योदय लेकर आए हैं,
धर्म, निष्ठा, कर्त्तव्यपरायणता,
तुम्हारी, तुम्हारा ही भाग्योदय लेकर आए हैं।
- सुचित्रा प्रसाद
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