प्रेम - दिवानी
प्रेम - दिवानी
मुझपर पड़ती सूरज की पहली किरण भी तुझे पुकारे है,
रातों को मेरा भींगा तकिया जाने है, ये दिल तुझे कितना पुकारे है,
हर पल सिर्फ तुम्हें देखूँ इसी चाहत में मेरी आँखें भी तुझे पुकारे है,
देते नहीं है दरश वो शायद मेरे प्रेम में कोई कमी निकाले है,
दिशा चाहे कोई भी हो मेरी दृष्टि में सदा तुम्ही रहना,
सफर चाहे कोई भी हो मेरे हमसफ़र सदा तुम्ही रहना,
जख्म चाहे कोई भी हो मेरे मरहम सदा तुम्ही रहना,
जिंदगी का संगीत चाहे कोई भी हो मेरे संगी सदा तुम्ही रहना,
सभी रंगों से प्यारा मुझे वो रंग मयूर-पंख का,
सभी धुनो से न्यारा मुझे वो धुन बाँसुरी का,
सभी तस्वीरो से निराला मुझे वो तस्वीर मेरे कन्हैया का,
सभी एहसासो से अपना मुझे वो एहसास उनके साथ होने का,
जो छिपाए बैठे हैं अपनी मुस्कान में राज अनेक,
ना छुप सका है आजतक जिनसे किसी का भी कर्म, बुरा हो या नेक!
देती है शक्ति जिनकी मुस्कान मुझे मुस्कुराने की,
मैं उसी लीलाधर की बावली सी, प्रेम - दिवानी हूँ एक!
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🏵Jai Shri Radhe Krishna! 🏵
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