पायल, कंगन और बिंदिया
पायल, कंगन और बिंदिया
उसके प्यार का पायल भी क्या खूब शोर मचाता है,
दिल करता है बस उस पायल की छम-छम में दुनिया भूल जाऊ,
तब याद आता है किसी के घर की मान- मर्यादा का वो कंगन,
फिर बोल पड़ी मेरी कलम कि छोड़ ये कंगन, छोड़ ये पायल देख अपनी बिंदिया की चमक और बढ़ अपने लक्ष्य की ओर।
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