नादानियॉं
एक उम्र निकल गई समझदारियों में,
एक वक्त नादानियों का चुराना है,
एक रात जो सोयेगी जिंदगी मेरी,
तलाश कर नादानियों को आजाद करना है।
सभी ने रखी अपेक्षाएं मुझसे,
सभी ने समझदारी की आशा की,
एक उम्र बीती पर सुन न सकी
कोई कहे - "तुम करो नादानी सखी..."
तुम हार भी जाओ तो मुझे प्यारी हो...
तुम्हारी जीत का पहला ऐश्वर्य गीत हमारा हो,
तुम गिरोगी अगर तो न छोड़ेंगे हम हाथ तुम्हारा,
तुम रूठोगी तो न छोड़ेंगे हम साथ तुम्हारा।
दुनिया करेगी गुणगान तुम्हारी समझदारियों का,
मैं पढ़ सकूंगा कहानी तुम्हारी नादानियों का,
ढूंढ लूंगा तुम्हारी गलतियों में छुपे भोलेपन को,
हर रात बाहों में छिपा कर मैं सुनूंगा तुम्हारी कहानियों को।
- Suchitra Prasad
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