देखा मैंने
देखा मैंने
देखा आधे चाँद को
देखा नीले आसमान को
देखा जलते कहानियों को
देखा ग़म को जाते मैंने,
देखा मुस्कुरा कर मैंने,
देखी गंगा की धारा मैंने,
देखा अपनों को जाते मैंने,
देखा किसी को करीब से मैंने,
वक़्त की धारा उल्टी बहते देखा
सियासत को पलटते देखा,
राजा को अपने सैनिक से मरते देखा,
दिलों को अपनों से टूटते देखा
देखा इन आँखों ने सारी तबाही,
सारी तबाही देखकर
सूरज सा जलना देखा,
सारी तबाही देखकर
सूरज सा चमकना देखा।
-Suchitra Prasad
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