Chào các bạn! Vì nhiều lý do từ nay Truyen2U chính thức đổi tên là Truyen247.Pro. Mong các bạn tiếp tục ủng hộ truy cập tên miền mới này nhé! Mãi yêu... ♥

कोई काट रहा है जड़ें मेरी

कोई काट रहा है जड़ें मेरी
ना रोको उसे कोई,
अपने ही शहर से कटी सी रहती हूं,
अपने ही घर में अलग सी रहती हूं,
कोई काट रहा है जड़ें मेरी
ना रोको उसे कोई।
आशाओं के सिक्के नहीं रहें जेब में,
इस हल्केपन में सुकून सा है!
मुलाकातें तो कई तूफ़ानों से हुई,
मगर ये ब्रह्माण्ड इस कदर
पहले ना हिला।

कोई काट रहा है जड़ें मेरी
ना रोको उसे कोई,
है कर्मभूमि की पुकार यह,
एक नया घर और नये लोग
जिनसे जुड़े हैं सद्कर्म मेरे,
वो घर मुझे खींच रहा है,
दैवीय प्रेम मुझे जीत रहा है।
कोई काट रहा है जड़ें मेरी
ना रोको उसे कोई।

- Suchitra Prasad

🌷🌷🌷🌷🌷

Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro