इत्तेफाक
इत्तेफाक
छँट गए सारे बादल,
कर गए आसमान साफ और नीला,
ढल गए वो दिन,
जहाँ था उलझनो का पहरा;
मगर हुआ सूर्योदय सच्चाई का
और दिया नयी ऊर्जा
आया यूँ सच सामने कड़वा
कि छोड़ चली निराशा
मिटी वो शिकायत जो थी
नगर निगम वालो से,
मिटी वो शिकायत जो थी
मुझे अपने नसीब से,
हुआ एक ऐसा इत्तेफाक
कि हुई मरम्मत दोनों की साथ
हुआ एक ऐसा इत्तेफाक
कि भरे गए जख्म मेरे दिल के
और उस सड़क के एक साथ।
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