Aj ki Ladki
माँ भी है, बहन भी है
आदमी के ज़िन्दगी के हर चौराहे पे है
कभी पत्नी बनती है
तो कभी सहेली
ये लड़की बड़ी अलग अलग रूप लेती है ।।
ये समाज उससे अपनाता नहीं है
ना जाने क्या क्या बोलके
वो उससे निचा दिखाने की कोशिश करता है
पशर दुर्गा का रूप है ये
बड़े अलग अलग रूप लेती है ।।
आज इतने सालो के बाद
बड़ी मुश्किलो को झेलने के बाद
ऊपर आ सकी है वो
मर्द के कंधे कंधे मिला कर चलने वाली ये
बड़े अलग अलग रूप ले सकती है ।।
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