साथ-साथ
चलो चलें, साथ-साथ, हाथों में हाथ।
किसी पेड़ के नीचे, आँखें मीचे,
बुनें कुछ सपने।
ना सिर्फ़ तेरे, ना सिर्फ़ मेरे,
बल्कि हम दोनों के अपने, सपने।
सपनों का चमन,
जिसकी हर कली,
हर फूल की ले तू ख़ुशबू ।
सपनों का गगन,
सितारों पे हों तेरे क़दम,
और बढ़ के चाँद को ले तू छू।
चलो चलें, साथ-साथ,
हाथों में हाथ, मैं और तू।
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