ख़्वाब
तड़प रही है रूह मेरी
पास मेरे वापिस आकर।
किसी ने बड़े प्यार से
ख़्वाबों में बुलाया था इसे,
इसने रात उसके ख़्वाबों की
हसीन जन्नत में बिताई है।
सुबह जब उसने
अपनी नशीली आँखें खोली,
तो घुल के बिखर गया
ख़्वाब हसीन फ़िज़ाओं में।
तब कहीं जाके यह
मेरे जिस्म में लौट के आई है।
महकने लगा है तन-मन मेरा
एक मीठी सी ख़ुशबू से।
यह उसकी प्यारी रूह से
लिपट के आई है,
तो उसकी भीनी-भीनी ख़ुशबू
भी अपने साथ लेकर आई है।
इसने रात उसके ख़्वाबों की
हसीन जन्नत में बिताई है।
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