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भाग-15

(29.) बताऊँ कैसे
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है मेरे दिल मैं तुम्हारी सूरत तुम्हें दिखाऊँ कैसे।
है कितनी मौहब्बत तुम्हारे से तुम्हें बताऊँ कैसे।

है दिल तुम्हारा हमारे ही लिए सनम,
कहीं समझों ना तुम जबरदस्ती ये तुम्हें बताऊँ कैसे।

प्यार ये नाम तेरा लिखा दिल के पैमानों पर,
दिखा भी तो नहीं बताओ तुम्हें दिखाऊँ कैसे।

जाने तुम क्यों रहते हो खफा खफा से हमसे,
तुम्हें प्यार से देखता हूँ मगर जताऊँ कैसे।

हम हो सकते हैं एक तुम पास तो आऔ,
बिना तुम्हारे दिल की महफिल सजाऊँ कैसे।

धुन बहुत हैं  'कश्यप' जग में,
लेकिन बिन तुम्हारे धुन बजाऊँ कैसे।

-अरूण कश्यप


(30.)
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दिल को तुम्हारा ही मान है।
सनम कहां तुम्हारा ध्यान है।

हैं हम तो दिवाने तेरे,
तेर  बिन  बेजान  हैं।

तुम मान औ अरमान हमारे,
तुम   हमारी  ही  शान  हो।

तुम्हारे बिन जीना ही क्या,
तुम हमारी अब जान हो।

बिन तुम्हारे है ही क्या मेरा,
तुम ही तो मेरी पहचान हो।

तुम हो ताज सर के हमारे,
'कश्यप'  के दिल का  गुमान  हो।

-अरुण कश्यप

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