Chào các bạn! Vì nhiều lý do từ nay Truyen2U chính thức đổi tên là Truyen247.Pro. Mong các bạn tiếp tục ủng hộ truy cập tên miền mới này nhé! Mãi yêu... ♥

भाग-1

1.बेकार हो जाते हैं सपने
................................

मत लहराया करो हाथों में तलवार अपने।
देखकर प्रेमियों के हो जाते हैं बेकार सपने।

मत बरसा करो तेजाब बनकर किसी पर,
हो जाते हैं देखकर शर्मसार अपने।

निकला करो खूब घर से सज धजकर तुम,
देखकर तुम्हें वसूल हो जाते हैं इंतजार अपने।

मत चला करो ढँककर फेस तुम अपना ,
ढीले पड जाते हैं दिल के तार अपने।

देखती हो जब परदे के पीछे से झुककर तुम,
तो याद आ जाते हैं लानती संस्कार अपने।

देने जाते हैं फूल 'कश्यप' पर हाय ये गुस्सा,
हो जाते हैं सारे रक्तरंजित सवार सपने।

-अरूण कश्यप



2.सपनों का संसार था
................................

उनके मन में भी सपनों का संसार था।
जिंदगी से उन्हें भी बहुत प्यार था।

कौन किसका जुदा हो गया कायनात से,
कैसे खोजते लाशों का वहाँ अंबार था।

वो जो लोग खा रहे हैं दर-दर की ठोंकरे,
कहता है जमाना उनका भी कभी घरबार था।

कौन शिकायत जमाने में किससे किसकी करे, यहाँ खुद का साया ही निकला बहुत गद्दार था।

कौन रोक सकता था धधकती आग को,
शक्ल आग थी पर वो अंधकार था।

बिखरता रहा जमाना 'कश्यप' यूँ ही,
हम खो बैठे जहाँ सोचकर कि यही संस्कार था।

-अरूण कश्यप

Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro