कविता
मिट्टी की भीनी भीनी महक, खेतो की हरियाली लोगो को क्यो नही है भाती ।
शहरो की चमक - दमक, फिल्मो की रंग-बिरंगी दुनिया लोगो को है भाती ।।
1) खेतो की फसल लदी हरियाली की जगह अब पाकोॅ ने है ले ली ।
गाँव की चौपालो की जगह अब सिनेमाघरो ने ले ली ।।
2) पहले लोग पसंद करते थे घोङागाङी का सफर ।
अब लोग पसंद करते हैं अपनी गाङी का सफर ।।
3) रोटी की जगह अब पिज्जा- बगॅर ने है ले ली ।
माँ-बाप की जगह भी अब माॅम- डेड ने ले ली ।।
4) गाँवों मे लोगो का लगा रहता आना -जाना ।
शहरों मे ना कोई अपना ना जाना-पहचाना ।।
मिट्टी की भीनी-भीनी महक, खेतों की हरियाली क्यों लोगो को नहीं है भाती।
शहरों की चमक-दमक , फिल्मों की रंग - बिरंगी दुनिया है लोगो को है भाती ।।
सीने मे जलन आँखों में तूफान क्यों है
शहर की इस दुनिया में हर कोई परेशान क्यों है ।।।
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