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किसी रोज़ जो पलके मिचते आ जाती थी
किसी रोज़ जो पलके मिचते आ जाती थी
उस नींद ने भी हमसे नाता तोड़ दिया है
जब से तुमने हमारे सपनों में आना छोड़ दिया है
क्यों?
क्यों तुमने यू अपना रास्ता मोड़ लिया है?
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किसी रोज़ जो पलके मिचते आ जाती थी
किसी रोज़ जो पलके मिचते आ जाती थी
उस नींद ने भी हमसे नाता तोड़ दिया है
जब से तुमने हमारे सपनों में आना छोड़ दिया है
क्यों?
क्यों तुमने यू अपना रास्ता मोड़ लिया है?
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