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#सपने
ये कोहरा कब हटेगा?
कब निकलेगी वो धूप?
इस छोटे से एक पल में
सारा धरती हो गया है चुप।
रात का अँधेरा तो चला गया
पर सूरज का चेहरा अभी भी है गुम
इस खामोशी के बस दो ही हक़दार है
मैं और मेरे सपनों वाले तुम!
क्या सपना, क्या हकीकत,
कैसे करे इसकी फर्क़ हम?
क्यूंकि आंखें खोल के भी मैं
वही सपना देखती रहती हूं हरदम!
#कुछ_लम्हें
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