कुछ अल्फ़ाज ६: क्षणिक खुशी
कि ऐसी खुशी छा गई दिल में मेरे,
मैं कर नहीं सकता बयां ;
जब कहा उन्होंने मुझसे
उनकी खुशी का एक तार है मुझसे जुड़ा।
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हमारी शायरी का जादू कुछ यूं चला ,
कि अब एक पल भी उनका मेरे बिना नहीं गुजरता।
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क्योंकि वह शर्माती थी हर हर एक बात पे मेरे,
सूझ नहीं रहा था मुझे क्या कहूँ उनसे।
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किस कमबख्त ने कहा था कि तुम सुंदर नहीं...
उसे शायद नहीं मालूम सुंदरता क्या चीज है...
आकर देख ले वो ज़रा तुम्हारे रुप को...
मिसाल-ए-खुबसूरती तुम्हारे चित्त में निहित है...
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रूप मुझे पसंद है
पर रूह से ज्यादा नहीं।
आखिरकार रूप छलावा है,
रुह किसी हीरे से कम नहीं।
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आँसुएँ बहेंगी नदियों सी :
यह मुझे पता है।
तनहाई बरसेगी मेघों सी :
यह मुझे पता है।
पर नहीं बनना मुझे कारण
तुम्हारे तबाही का,
कुछ ही दिन होगा मेरी नामौजूदगी का एहसास
फिर तुम्हारा जीवन खुशहाल आबाद होगा।
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आज का यह हसीन पल कहीं लिख के रख लो।
कल ना जाने यह हो ना हो ।
यह खुशी यह मदमस्त हँसी संजो के रख लो।
कल ये दीवानगी कहीं हो ना हो ॥
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चित्र स्त्रोतः इंटरनेट से।
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