कुछ अल्फ़ाज ३८: मुलाकात
तुम जो 'ना' कहो
एक प्यार-सा लगता है।
तुम जो 'हाँ' ना कहो,
एक इज़हार-सा लगता है।
--------------------------------------------------------------
एक राह पे हम दोनों चले
हाथों में हाथ लिए
ना मंजिल की खबर ना दुनिया की फ़िक्र
आओ हम दोनों कहीं खो चले...
--------------------------------------------------------------
हैं एक ऐसी किताब आप अनूठी
कि पढ़ने में कम पड़ जाए जिंदगी हमारी...
--------------------------------------------------------------
कुछ मुलाकातें यूँ ही हो जाती हैं
ना कहने की ज़रूरत होती है, ना योजना की होती है...
--------------------------------------------------------------
यह दुनिया की ज़ालिमियत तो देखो
रोते को देख हँसना कोई इनसे सिखें...
--------------------------------------------------------------
बर्फ़ में कहाँ वो बात है जो आपके छुवन में निहित है
थंडक में कहाँ दम है, जो आपके नर्माहट में है...
--------------------------------------------------------------
कभी कोई जो आपको मुझसे ज्यादा प्यार करे
कह के देखना मुझे हम खुद ही हट जाएँगे...
कभी कोई जो आपका मुझसे ज्यादा सम्मान करे
कह के देखना मुझसे हम बस साँस को नहीं रोकेंगे...
--------------------------------------------------------------
एक ख़्याल मन के महल में जो आए
कि आपसे दूर हो जाने की बेला जब आए,
तब सुझता नहीं कैसे हम संभाल पाएँगे
उस वक्त कैसे हम समझ भी पाएँगे...
--------------------------------------------------------------
चित्र स्त्रोत: इंटरनेट से।
Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro