कुछ अल्फ़ाज २४: मौन
हाल-ए-दिल को जरा समझो
मैं हर तरफ से ठुकराया गया हूँ।
कभी कारण अपने दिल-ए-बयाँ के,
कभी कारण बातों को अंतःकरण में छिपा लेने के।
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एक अँजुलि भर सांत्वाना
और मैं विभोर हो जाता हूँ।
बूँद-बूँद रिस्ते-रिस्ते
मैं टूटता जाता हूँ।
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जिसको दिल में बसा लिया है,
उसे याद क्या करें ?
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तुम्हारी मुस्कुराहट हमें झकझोर-सी देती है।
इसे हँसी में ना बदल देना, कहीं होश हम खो ना दे...
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पता नहीं मेरे रूह को शक है
कि कहीं आपको डर तो नहीं।
ना हम आपको आश्वस्त कर सकते हैं,
और आपको बोलने का शौक नहीं।
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जब हवाओं में मदहोशी छाती है
लहरों में मदमस्ती आती है
जब भाव मेरे उमड़ते रहते हैं,
तब आपका मौन बड़ा चुभता रहता है।
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मौन हो जाती हो तुम,
खुबसूरती पे तुम्हारे जब नज़्में लिखते हैं।
मौन हो जाती हो तुम,
अपनी दिल की बात जब शब्दों में पिरोते हैं।
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चित्र स्त्रोत: इंटरनेट से।
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