कुछ अल्फ़ाज १९
ऐ रात की अप्सरा!
क्यों मंझधार में छोड़ कर जाती भला?
जिंदगी है कठिन
कठिन रहना वसुंधरा(पर)
दुश्वार है साँसें लेना,
यादें तुम्हारी है भरी बता।
ऐ रात की अप्सरा!
क्यों मंझधार में हो तुम छोड़ती सदा!!
--------------------------------------------------------------
अरमान कहने पर नहीं नहीं जागते जालिम,
खुद-ब-खुद डूबा ले जाते हैं।
--------------------------------------------------------------
यूँ ही नहीं कहता मैं तुम्हें परी,
उसकी हर खुबियाँ तुम में मौजूद हैं।
एक छवि तुम्हारी दो पल की बातें,
सुकून के लहरों में बहा ले जातें हैं मुझे कहीं...
--------------------------------------------------------------
बस सिर्फ इसलिए हम में जान बची थी,
कि आपकी यह कातिल अदा जब सामने आए;
रूबरू होके मुझसे मेरे रुह को
जन्नत के गलियारों की सैर करा लाए।
--------------------------------------------------------------
जिंदगी की कशमकश
झकझोर-सी देती है।
एक लकीर मुस्कान की, तलाश है
उसकी भनक भी दूर-दूर दिखाई नहीं देती है।
--------------------------------------------------------------
एहसास हमारे रग में है,
उसके बिना हम कुछ भी नहीं।
एक एक लम्हा एक दास्तान है,
उनके बिना हमारी स्याही में रंग ही नहीं।
--------------------------------------------------------------
Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro