कुछ अल्फ़ाज १६
भाई है वो
जुनून है वो
जान है वो
अहंकार है वो हमारा।
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शब्द तो आपके अजीज़ हैं जनाब,
सिर्फ बोलने में
नज़ाकत में
ऐब में
इख़्तियार में
चूक जाते हैं आप...
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नासमझी में हुई गलती
आखिरी साँस तक तरसाती है।
आज भी याद करूँ वे पल,
अपनी नादानी पर हँसी आ जाती है।
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दोस्ती सिखाई जिसने...
शिद्दत से निभाना।
जुनून सिखाया जिसने...
हर स्थिति में बरकरार रखना।
सपने सिखाए जिसने...
अपनी मर्जी से देखना।
वक्त सिखाया जिसने...
दबोच के हाथ में रखना।
आनंद में डूबे ऐसे मित्र को सलाम।
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और जब हम आज हैं तेरे पास आना चाहते,
उन पत्थरों से सारे दाँव हैं छलनी हुए जाते।
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अगर ज़रा सी भी इच्छा है तो बात करके देखो...
यादों के गलियारों में फिर से झाँक के देखो...
उलझे रिश्तों को बातों से सुलझा के देखो...
शायद जो छूट गया था वो फिर से मिल जाए;
जो रुठ गई थी कलि, वह फिर से खिल जाए।
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किसने कहा तस्वीरें बेजान होती हैं;
जब उसमें छुपी हो यादों की एक दास्तां,
बरसों से पड़े बेजान दिल में भी वो
तस्वीर एक जान फूँक देती है...
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दुनिया पागल है खुबसूरती में,
मुझे यह सादगी पसंद है।
दुनिया बेहोश है ना जाने कैसे रिश्तों में,
मुझे यह दोस्ती पसंद है...
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कोई बुला रहा है मुझे
आवाज मुझ तक पहुँचती नहीं,
कोई नज़र डाले है मुझपे
दिखाई पर मुझे देता नहीं,
कोई खींचें है मुझे अपनी तरफ
उसकी फेंकी रस्सी मुझ तक पहुँचती नहीं,
दिल करता है उसके साथ समय बिताऊँ दो पल ही सही,
मन इज़ाजत देता नहीं--
वो रूह के पिटारे में बंद सुनहरी यादे हैं,
उन्हें 'खो दिया है', मानने को जी करता नहीं।
वो नींदों के गलियारों में बसे सपने हैं,
हकीकत होंगे, भरोसा होता नहीं।
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