
कुछ अल्फ़ाज १२: बातें
कल बीत गया
कल किसी ने देखा नहीं।
आज हमारे सामने है
जी भर के जी लो...
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बुलाने की इच्छा तो ज़ोरो से है
पर दूरी हमारे बीच मीलों की है।
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ऐसे शब्दों से तीर ना मारो ज़ालिमा
दिल छलनी हो उठेगा।
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पुछो मत हमसे कितना परेशान हुए हम
उनसे बात हुए कई दिन जो बीत गए।
रह-रह के दिल को शांत किया,
और इंतज़ार करते करते उनकी बातों को महसूस करने का पल आ ही गया...
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जिंदगी ने जटिल परीक्षाएँ ली, वो उसमें नाकाम ना हुआ।
वक्त ने कठोर परीस्थितियाँ दिखाई, वो फिर भी ना रुका।
उसकी मंजिल का रास्ता भले ही काँटों से था भरा,
पाँवों के छलनी-छलनी होने की चिंता वो कभी ना किया।
दर्द दिन-रात सहे उसने पर कभी 'आह' ना किया।
ऐसे धैर्यवान सुशील इंसान को मेरा नमन है।
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हर वो चीज़ जो खुशी दे
मीठी होती तो है जरूर
पर लाती है अपने साथ
मिठास में छुपी हुई बुराइयाँ...
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चित्र स्रोत: इंटरनेट से।
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