तवायफ
जुलाई की एक शाम को
अस्पताल में एक छोटी बच्ची का जन्म हुआ,
परियों सी सुंदर थी वो,
गुलाबी होंठ, साफ रंग,
मानो जैसे सारी कायनात की खूबसूरती लेकर धरती पर उतरी हो,
उस दिन, वो एक बच्ची थी।
बारह साल की उम्र में,
उसे औरत होने का एहसास पहली बार हुआ,
शरीर से पानी की तरह बहता खून देख कर बेचारी सहम गई थी,
उसे पता नहीं था उसके साथ क्या हो रहा था,
मां ने फिर प्यार से समझाया की,
उस दिन, वो एक औरत बन चुकी थी।
बत्तीस साल की उम्र में,
जब बारात दरवाज़े पर इंतज़ार कर रही थी,
उसके मन में कुछ अजीब खयाल आ रहे थे,
कमरे में बुआ जी आई और उससे कुछ असुविधाजनक बातें करने लगी,
उस दिन, वो एक तवायफ बन गई।
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