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गम

हमारी मोहब्बत मुकम्मल न हो सकी,
तो इतना गम क्यों है?

हां, दर्द बेशक मिला,
मगर पल भर की खुशी भी तो मिली।
पल भर के लिए ही सही,
लबों पर हंसी तो आई।

क्या हमारा दिल इतना छोटा है,
जो किसी की अच्छाई को अनदेखा करे?
सिर्फ कहने सुनने की बातें हैं यह,
माना मैंने।

मगर मोहब्बत भी तो सिर्फ कहने सुनने को ही थी,
यदी सच्ची होती तो आज इस कविता पर नज़र नहीं रुकती।

हमारी मोहब्बत मुकम्मल न हो सकी,
तो इतना गम क्यों है?

हां, दर्द बेशक मिला,
मगर पल भर की खुशी भी तो मिली।
पल भर के लिए ही सही,
लबों पर हंसी तो आई।

इन छोटी छोटी खुशियों में ही जीवन का रस है, जनाब,
बड़ी तो तकलीफें होती हैं।

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