आज तुम फिर याद आए।
आज अलमारी साफ करते वक्त,
एक पुराना बक्सा हाथ लगा,
वो तुम्हारा था या मेरा याद नहीं मुझे,
मगर, सालों बाद, आज तुम फिर याद आए।
बक्सा खोला तो एक जानी पहचानी सी खुशबू आई,
शायद, शायद यह उस इत्र की है जो तुम कभी लगाया करते थे,
जिसकी गंध मुझे कभी नहीं भाई,
मगर, फिर भी, सालों बाद, आज तुम फिर याद आए।
कुछ पुराने तोहफे भी मिले,
जो तुमने शायद मुझे कभी नहीं दिए थे,
यह सोचकर की मुझे पसंद नहीं आयेंगे और यही सच था,
शायद, इसीलिए सालों बाद, आज तुम फिर याद आए।
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