वो
सुबह की पहली किरण नहीं
मदहोश हुई एक शाम है वो
खिलखिलाती हुई हसी नहीं
मिठी सी एक मुस्कान है वो
खुशियों का सूरज नहीं
सुकून का छोटा नूर है वो
उपकरणों का शोर नहीं
प्यारी सी एक सुर है वो
झट से खिची तस्वीर नहीं
किसी कलाकार की रूह है वो
ज़ोर से बजता बिगुल नहीं
रात का शांत सुकून है वो
अजीब से कुछ लफ्ज़ नहीं
प्यार से लिखी कविता है वो
ऐसी ही कोई कहानी नहीं
मेरे खुशियों की गाथा है वो
टिमटिमाते हुआ तारा नहीं
चांद पे लगा दाग है वो
बारिश की चंद बूंदे नहीं
मेरे सीने में लगी आग है वो
मिनटों में बनी मैगी नहीं
फ़ुरसत से बना भोग है वो
मुसीबतों का इलाज नहीं
नायब इश्क़ का रोग है वो
पन्नों में कैद शब्द नहीं
दिल से निकले बोल है वो
हीरो जड़ीत ताज ना सही
इस जहान में सबसे अनमोल है वो
मेरे रूह में बसी है
यहां हर जगह है वो
आपके लिए कोई एक
मगर मेरा पूरा जहां है वो
***
Beautiful poem with the beautiful AnAspiringSoul
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