गुलिस्तां-ऐ-लेख
ख्यालों की उलझन को लिख के जताना हो, या कश्ती से मंज़िल को पार लगानागुलिस्तां ऐ लेख हैं दास्तां कुछ ऐसीजहाँ दिल का ना हो कर भी, दिल लगाना हो। A short collection of heart to heart shayaris and poetries. Dive in to know more!…
ख्यालों की उलझन को लिख के जताना हो, या कश्ती से मंज़िल को पार लगानागुलिस्तां ऐ लेख हैं दास्तां कुछ ऐसीजहाँ दिल का ना हो कर भी, दिल लगाना हो। A short collection of heart to heart shayaris and poetries. Dive in to know more!…