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ज़ख़्म तो तुम्हीं ने दिए थे ना
फिर मरहम क्यों तुम्हारे हाथों से ही असर देता है
छोड़ कर भी तुम्हीं गए थे ना
फिर ये दिल क्यों बार बार मुझे दोष देता है।।
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ज़ख़्म तो तुम्हीं ने दिए थे ना
फिर मरहम क्यों तुम्हारे हाथों से ही असर देता है
छोड़ कर भी तुम्हीं गए थे ना
फिर ये दिल क्यों बार बार मुझे दोष देता है।।
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