Poetry by me -7 ( Random not related to RraHel)
एक अजीब सा डर
एक अजीब सी घबराहट सी होती हैं
जब जिंदगी आपको मौके तो कई
पर कुछ अच्छा होने की आस कम सी देती हैं
उम्मीदो का वजन हर बार दोगुना बढ़ जाता हैं
लोग कहते हैं न उस बार हुआ
न इस बार हुआ
बताओ हमें अब किस बार होगा
न बता पाए,न कुछ कर गुजर पाए
तो कौन जाने क्या होगा
शायद फिर तानो की वो गूँज होगी
वही आत्म-तिरस्कार होगा
तुम्हारी की गई मेहनत पे सवाल या,
तो तुम्हारी आदतों पर बवाल होगा
पता नहीं इस दिल को,
इस दिमाग को,
कि इस बार क्या होगा
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