.91. नींद?
सपनों का फुल थामे जब मीठी नींद ने अपने प्यार का इज़हार किया,
तब हमने भी बिना कुछ सोचे उसे अपने बाहों में भर लिया।
मगर मीठीसी उस नींद में यादों की बरसात थी,
सपनों के उस फुल पर काटों की बारात थी।
रात भर हम जागते रहे,
अंबर के तारे गिनते रहे।
हमारे दिल ने तो आखिर हर बार ठोकर ही खाई है,
फिर भला नींद उससे कैसे जुदा रहे?
भला इस नींद से हम कैसे प्यार करे?
***
जब नींद नहीं होती, तब शब्द कहा से आ जाते है?
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