.38. हम और तुम
हमसे यदि खफा हो तुम
तो दिल खोलकर सच सुनाओ
यूँ बहाने बनाकर हमें ना भगाओ
यूँ दूर रहकर हमें ना रुलाओ
सच सुनाएंगे हम मगर
यह दिल भी खोलेंगे हम मगर
वादा करो ना भुलोगे तुम
वादा करो यह दिल ना तोड़ोगे तुम
आपका दिल न है कोई शीशा
जो हमारी एक आवाज़ से टूट जाए
आप तो वह बरसात की महक हो
जो हमेशा के लिए दिल मेँ बस जाए
बरसात की महक सी नहीं मैँ
महक तो मन लुभा जाए
बहोत सी बातें छुपी हैँ दिल मेँ मेरे
क्या पता किसे कब चुभ जाए
मैँ तुम्हारा गुलाब तो नहीँ
मगर तुम मेरा काँटा बन जाओ
चुभ भी जाओ तो कोई गम नहीँ
उस दर्द को मिटाने फिर तुम चली आओ
कुछ कहानियाँ अनकही सी अच्छी हैं
अच्छे हैँ कुछ अफसाने अनसुने से
फिर भी बाँटी हर बात दिल की
तुम लगे कुछ सच्चे से
अंत मेँ मंज़िल है हमारा मिलन
हँसी ले आए या चाहे गम
सच झूठ के ये छोङो बहाने
बस वादा करो ना बिछङेंगें हम
जो वादा माँगा मैने
वही वादा माँगा तुमने
जब चाहत दोनो की एक ही
तो कहाँ जगह झूठ की?
हम दोनो मेँ इतनी जगह ही कहाँ
कि झूठ अपने पर फैलाए
अब आ भी जाओ, और ना तङपाओ
ये दिल कबसे तुम्हे बुलाए
पुकारा तुमने जो दिल से
तो कैसे भला न हम आएँ
भर लो तुम बाँहों में अपनी
कि फिर कभी दूर न जा पाएँ
***
Another hindi poem with AnkuGarg
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