.30. गुमराह रातें
अंजाने थे लोग
अनकही सी थी बातें
आखों में थी बदमाशी
ओर गुमराह हुई थी रातें
वह बातें वह मुलाकातें
दिल समेट रहा था यादें
ख़ामोशी से सपने सजाएँ
गुमराह हुई थी रातें
बीते हुए वह खुशनुमा पल
साथ निभाने के वादे
उम्मीदों के दिल धडकाए
गुमराह हुई थी रातें
वह बिन मतलब का रूठना
फिर प्यार भरे वह लम्हें
इन छोटे छोटे पलों से ही तो
गुमराह हुई थी रातें
इन छोटे छोटे पलों से ही तो
गुमराह हुई थी रातें
***
In a first, a jamming session in hindi with the ever amazing AnkuGarg
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