107 बातें
जो कही नहीं जाती, वो भी बातें हैं
जो सुनी नहीं जाती, वो भी बातें हैं
जो भीड़ में बोली जाए, वो भी बातें हैं
जो अपने आप से कही जाए, वो भी बातें हैं
जो इशारों में हो जाए, वो भी बातें हैं
जो आँखों में पढ़ी जाए, वो भी बातें हैं
जो खत में लिखी जाए, वो भी बातें हैं
जो फोन पर बताई जाए, वो भी बातें हैं
जो ख्वाबों में नज़र आए, वो भी बातें हैं
जो खयालों में सिमट जाए, वो भी बातें हैं
जो हकीकत बन जाए, वो भी बातें हैं
जो सपनों में खो जाए, वो भी बातें हैं
जिनसे कोई बहस छिड़ जाए, वो भी बातें हैं
जिनसे दो दिल मिल जाए, वो भी बातें हैं
कभी ज़रूरत की,
कभी बेफिज़ूल की,
कितना कुछ है ये बातें
लेकिन फिर भी खत्म हो जाने के बाद,
वो कुछ भी नहीं,
वो कुछ भी नहीं...
***
A poem with AnkuGarg
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