
हाँ !
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हाँ, याददाश्त कमजोर है थोड़ी हमारी।
कुछ काम था जरूरी तुमसे कहना,
पर ऐसा भी क्या था कुछ याद नहीं।
कुछ बताना था तुम्हें, कुछ पूछना भी था,
पर क्यों था वो जरूरी याद नहीं।
हाँ, याददाश्त कमजोर है थोड़ी हमारी।
निकले थे उस रोज खुदा के दर जाने को,
मन्दिर, गिरजे, मस्जिद, गुरुद्वारे
ना जाने कहाँ खो से गये सारे।
जब नजर आया तो तेरा दर था,
कैसे पहुँचे वहां कुछ याद नहीं ।
हाँ, याददाश्त कमजोर है थोड़ी हमारी।
तेरा नाम, तेरी नजर, तेरी हँसी, तेरा घर
ये सब तो याद है, नहीं याद बस ,
अपना नाम, अपना हस्ती, अपना घर।।
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