सुना था हमने लोगों से,की गम का बनाते हैं लोग तमाशा तुम्हारे।
अच्छा है दिल की सिसकियाँ बेआवाज़ हैंवर्ना मज़मा रहता जहां भर के तमाशबीनों काआठों पहर चौखट पर हमारे।।
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