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तुम

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एक पल को जो मिल गए बरसों बाद आज,
अचानक कितने बीते लम्हे याद दिलाते हो तुम,

महज़ शब्दों के मोहताज नही एहसास,
महज़ नाम के नही मोहताज नाते ये दिल के,
हर पल क्यों ये एहसास करते हो तुम।
बिना आवाज, बिना शब्दों के कितना कुछ कह जाते हो तुम।

बड़ी मशक्कत से सम्हाला था,
बड़ी मुश्किल से संवारा था जिस खुदि को हमने,
हाँ उसी को, क्यों बहका जाते हो तुम?
मेरा सब कुछ तो जैसे साथ लिये जाते हो तुम।

बना लिया था जिस दिल को चट्टानों से मजबूत,
न जज़्बात, न अल्फाज़, न एहसास,
आज उसी दिल को मजबूर किए जाते हो तुम।
छोड़ पीछे मुझे, जैसे भाग रहा है पीछे दिल का हर जर्रा तुम्हारे,
और बेखबर से, बेबाक चले जाते हो तुम।

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